त्रिपुर सुंदरी मंदिर का महत्त्व : (Importance of Tripura Sundari Temple)
त्रिपुर सुंदरी (Tripura Sundari) मंदिर भारत के प्राचीन और प्रसिद्ध मंदिरों मे से एक है, जो देवी त्रिपुर सुंदरी को समर्पित है। इसे माँ त्रिपुर सुंदरी (Tripura Sundari) जो शक्ति की तीन रूपों की प्रतिनिधि है महाकाली, महालक्ष्मी और महासरस्वती की पूजा का प्रमुख केंद्र माना जाता है। यह मंदिर धार्मिक और सांस्कृतिक रूप से बहुत महत्वपूर्ण है और शक्ति उपासकों के लिए विशेष स्थान रखता है। यहाँ हम इस मंदिर के इतिहास, धार्मिक महत्त्व, वास्तुशिल्प, और मान्यताओं पर विस्तार से चर्चा करेंगे।
त्रिपुर सुंदरी का परिचय : (Introduction of Tripura Sundari)
त्रिपुर सुंदरी (Tripura Sundari) हिन्दू धर्म की देवी है, जिन्हें सौंदर्य, शक्ति, और करुणा की देवी माना जाता है। “त्रिपुर” शब्द तीन दुनियाओं—पृथ्वी, आकाश और पाताल का प्रतिनिधित्व करता है, और “सुंदरी” का अर्थ है सुंदर। इसलिए त्रिपुर सुंदरी को तीनों लोकों की सुंदरता और शक्ति का प्रतीक माना जाता है। वह त्रिदेवियों का एकत्रित रूप है माँ काली, माँ लक्ष्मी और माँ सरस्वती। त्रिपुर सुंदरी का प्रमुख रूप एक सौम्य और करुणामयी देवी के रूप मे है, लेकिन उनके पीछे अपार शक्ति छिपी होती है, जो किसी भी विपत्ति को समाप्त कर सकती है।
मंदिर का इतिहास : (History of the Temple)
त्रिपुर सुंदरी मंदिर का इतिहास प्राचीन काल से जुड़ा हुआ है। इस मंदिर का निर्माण किसने और कब कराया, इसके बारे में विभिन्न कथाएँ मिलती है। कहा जाता है कि त्रिपुर सुंदरी (Tripura Sundari) मंदिर लगभग 500 साल पुराना है। त्रिपुरा राज्य के महाराज धर्ममाणिक्य ने इस मंदिर का निर्माण कराया था। इस मंदिर का प्रमुख उद्देश्य माँ त्रिपुर सुंदरी की पूजा-अर्चना के माध्यम से राज्य की समृद्धि और शांति की कामना करना था।
मंदिर का वास्तुशिल्प अद्वितीय है और इसमे बंगाली और द्रविड़ शैली की मिश्रण देखने को मिलती है। त्रिपुरा के इस मंदिर मे चारों दिशाओं मे एक-एक दरवाजे है, जो मंदिर की संरचना को और अधिक प्रभावी बनाते है। इसके अलावा, मंदिर मे एक विशाल गर्भगृह है, जहाँ माँ त्रिपुर सुंदरी की मूर्ति स्थापित है।
धार्मिक महत्त्व : (Religious Significance)
त्रिपुर सुंदरी (Tripura Sundari) मंदिर का धार्मिक महत्त्व बहुत बड़ा है। यह मंदिर शक्ति उपासको का प्रमुख तीर्थ स्थल है और यहाँ प्रति वर्ष हजारों की संख्या में श्रद्धालु आते है। त्रिपुर सुंदरी (Tripura Sundari) को नवदुर्गा और दस महाविद्याओं मे प्रमुख स्थान प्राप्त है। उनके भक्त मानते हैं कि माँ त्रिपुर सुंदरी की पूजा से मनोकामनाओं की पूर्ति होती है, विशेषकर विवाह, संतान सुख और आर्थिक समृद्धि के क्षेत्र मे।
त्रिपुर सुंदरी (Tripura Sundari) की आराधना तांत्रिक पद्धति से भी की जाती है। तंत्र शास्त्र मे देवी को सर्वोच्च शक्ति के रूप मे माना गया है और उन्हें शक्ति का स्रोत बताया गया है। त्रिपुर सुंदरी की पूजा का एक प्रमुख तात्पर्य यह है कि उनके भक्त संसार की माया से मुक्ति प्राप्त कर सकते है और आत्मा को परमात्मा से जोड़ सकते है।
वास्तुशिल्प और मंदिर का स्वरूप : (Architecture and Structure of The Temple)
त्रिपुर सुंदरी (Tripura Sundari) मंदिर का वास्तुशिल्प विशेष ध्यान आकर्षित करता है। इस मंदिर का निर्माण द्रविड़ शैली मे किया गया है, जो दक्षिण भारतीय मंदिरो की एक प्रमुख विशेषता है। मंदिर की मुख्य संरचना एक गुंबदनुमा आकृति मे है, जिसमें चारो ओर से मंदिर के प्रवेश द्वार है। मंदिर के गर्भगृह मे त्रिपुर सुंदरी की मूर्ति है, जो काले पत्थर से बनी हुई है। देवी की प्रतिमा की आँखे बहुत ही जीवंत और प्रभावशाली है, जो भक्तों को माँ के आशीर्वाद की अनुभूति कराती है।
मंदिर के आस-पास का वातावरण भी बहुत शांति और आध्यात्मिकता से भरपूर है। मंदिर के परिसर मे छोटे-छोटे मंदिर भी है, जो अन्य देवी-देवताओं को समर्पित है। यहाँ एक पवित्र जलाशय भी है, जिसे ‘कुंड’ कहा जाता है, जहाँ श्रद्धालु स्नान करके देवी की पूजा करते है।
महत्त्वपूर्ण उत्सव और आयोजन : (Important Festivals and Events)
त्रिपुर सुंदरी (Tripura Sundari) मंदिर मे कई धार्मिक उत्सवों का आयोजन होता है, जिनमे सबसे प्रमुख है नवरात्रि। नवरात्रि के दौरान यहाँ विशेष पूजा और आरती का आयोजन किया जाता है और हजारों श्रद्धालु देवी के दर्शन के लिए आते है। इसके अलावा, मकर संक्रांति, दीपावली और दुर्गा पूजा के समय भी यहाँ विशेष आयोजन होते है। इन उत्सवों के दौरान मंदिर को भव्य रूप से सजाया जाता है और भक्तों के लिए विभिन्न धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमो का आयोजन किया जाता है।
धार्मिक मान्यताएँ और आस्थाएँ : (Religious Beliefs and Beliefs)
मंदिर के साथ कई धार्मिक मान्यताएँ जुड़ी हुई है। एक प्रमुख मान्यता यह है कि माँ त्रिपुर सुंदरी अपने भक्तो की हर मनोकामना पूरी करती है। कहा जाता है कि जो लोग सच्चे मन से यहाँ आकर पूजा करते है, उन्हें माँ का आशीर्वाद अवश्य प्राप्त होता है। यहाँ कई भक्त अपनी व्यक्तिगत और पारिवारिक समस्याओ के समाधान के लिए आते है और उनका विश्वास है कि माँ त्रिपुर सुंदरी की कृपा से उनकी सभी समस्याएँ दूर हो जाएँगी।
त्रिपुर सुंदरी की तांत्रिक पूजा : (Tantric Worship of Tripura Sundari)
त्रिपुर सुंदरी (Tripura Sundari) की तांत्रिक पूजा का विशेष महत्त्व है। तंत्र शास्त्र में देवी को तीन रूपों मे पूजा जाता है महाकाली, महालक्ष्मी, और महासरस्वती। त्रिपुर सुंदरी (Tripura Sundari) की तांत्रिक पूजा विशेष रूप से उनकी शक्ति को जागृत करने के लिए की जाती है। इसमें मंत्र, यंत्र और विशेष तांत्रिक विधियों का उपयोग किया जाता है। इस पूजा के द्वारा साधक अपनी आत्मिक शक्ति को जागृत कर सकते है और देवी की कृपा प्राप्त कर सकते है।
त्रिपुरा सुंदरी पूजा के नियम : (Rules of Tripura Sundari Pooja)
त्रिपुरा सुंदरी माता (Tripura Sundari) का पूजन तांत्रिक परंपरा मे अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। यह देवी माँ त्रिदेवियों (महाकाली, महालक्ष्मी और महासरस्वती) का सम्मिलित रूप मानी जाती है और उनकी पूजा से सभी प्रकार के सुख, समृद्धि और सिद्धियों की प्राप्ति होती है। त्रिपुरा सुंदरी (Tripura Sundari) को श्रीविद्या उपासना का मुख्य केंद्र भी माना जाता है। त्रिपुरा सुंदरी को ललिता देवी के रूप मे भी पूजा जाता है। उनकी पूजा और उपासना के कुछ विशेष नियम और विधियां होती है, जो निम्नलिखित है।
- पूजन का समय : त्रिपुरा सुंदरी (Tripura Sundari) पूजा करने का सबसे शुभ समय ब्रह्ममुहूर्त होता है, जो सूर्योदय से पहले का समय होता है। ब्रह्ममुहूर्त मे किया गया पूजन अधिक प्रभावशाली माना जाता है क्योंकि इस समय वातावरण शुद्ध होता है और साधक की मानसिक स्थिति भी शांति मे होती है। यदि यह समय संभव न हो, तो साधक प्रातःकाल या संध्या के समय भी पूजा कर सकता है।
- पूजन की तैयारी : पूजा करने से पहले साधक को स्वयं को शारीरिक और मानसिक रूप से शुद्ध करना होता है। इसके लिए नित्यकर्म से निवृत्त होकर स्नान करना अनिवार्य है। स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें और पूजा स्थल पर बैठें। पूजा के लिए स्वच्छता का ध्यान रखना महत्वपूर्ण होता है। पूजा के स्थान को गंगाजल या शुद्ध जल से पवित्र करना चाहिए।
- पूजा स्थल की तैयारी : त्रिपुरा सुंदरी (Tripura Sundari) की पूजा के लिए मंदिर या पूजा स्थल को स्वच्छ और शांत रखना चाहिए। पूजन स्थल पर माँ त्रिपुरा सुंदरी की मूर्ति या चित्र स्थापित करें। अगर चित्र या मूर्ति उपलब्ध नहीं हो, तो त्रिकोण आकार बनाकर उसे त्रिपुरा सुंदरी (Tripura Sundari) का रूप मानकर पूजा कर सकते है। पूजन स्थल पर दीपक जलाएं और धूप का प्रयोग करे। इसके अलावा, तांत्रिक साधनाओं में श्रीचक्र का उपयोग भी किया जाता है।
- आसन का उपयोग : पूजा करते समय साधक को किसी कुश, ऊन या रेशमी वस्त्र के आसन पर बैठना चाहिए। साधक को पूजन के दौरान स्थिर और एकाग्रचित्त होकर बैठना चाहिए। आसन पर बैठने से साधक की ऊर्जा स्थिर रहती है और पूजा मे ध्यान लगाना आसान होता है।
- पूजा सामग्री : त्रिपुरा सुंदरी (Tripura Sundari) की पूजा के लिए विशेष सामग्री का उपयोग होता है। इनमें पुष्प (विशेषकर लाल फूल), कमल का फूल, चंदन, कुमकुम, अक्षत, घी का दीपक, धूप, सुगंधित तेल, मिश्री, नैवेद्य, और श्रीफल आदि का समावेश होता है। साथ ही, त्रिपुरा सुंदरी की पूजा मे श्रीचक्र, यंत्र, और लाल वस्त्र का भी महत्व होता है।
- मंत्र जप : त्रिपुरा सुंदरी (Tripura Sundari) की पूजा मे मंत्रों का विशेष महत्व है। साधक को त्रिपुरा सुंदरी के विशेष बीज मंत्र का जप करना चाहिए। इन मंत्रो का जप करने से देवी की कृपा प्राप्त होती है। त्रिपुरा सुंदरी का प्रमुख मंत्र है। “॥ ॐ ऐं क्लीं सौः ॥” इसके अलावा, “श्री विद्या मंत्र”, “ललिता सहस्रनाम”, और “त्रिपुरा सुंदरी स्तोत्र” का पाठ भी विशेष रूप से फलदायक होता है। मंत्र जप के समय मन को एकाग्र करना आवश्यक है। जप माला का प्रयोग करना भी लाभकारी माना जाता है, विशेषकर रुद्राक्ष या स्फटिक की माला का।
- अर्घ्य और नैवेद्य अर्पण : पूजन के दौरान देवी को अर्घ्य और नैवेद्य अर्पित करना अनिवार्य होता है। अर्घ्य के लिए शुद्ध जल, दूध, और फूलों का उपयोग किया जाता है। नैवेद्य मे देवी को फल, मिठाई, मिश्री, और विशेष रूप से दूध से बने प्रसाद का भोग लगाया जाता है।
- श्रीचक्र की पूजा : त्रिपुरा सुंदरी (Tripura Sundari) की उपासना मे श्रीचक्र की पूजा का अत्यधिक महत्व है। श्रीचक्र को देवी त्रिपुरा सुंदरी का निवास स्थान माना जाता है। साधक को श्रीचक्र का ध्यान करते हुए उसे पंचोपचार या षोडशोपचार विधि से पूजन करना चाहिए। श्रीचक्र की पूजा करते समय उसे कुमकुम, चंदन, पुष्प, और अक्षत से अर्पित करें और दीपक जलाएं।
- त्रिपुरा सुंदरी स्तोत्र का पाठ : त्रिपुरा सुंदरी (Tripura Sundari) स्तोत्र का पाठ करने से साधक को देवी की कृपा शीघ्र प्राप्त होती है। स्तोत्र का नियमित पाठ करने से साधक के जीवन मे समृद्धि, सुख, और शांति बनी रहती है।
- व्रत और उपवास : त्रिपुरा सुंदरी की पूजा मे व्रत का भी विशेष महत्व है। साधक को इस दिन उपवास रखकर माता की आराधना करनी चाहिए। उपवास मे फलाहार या केवल जल ग्रहण करने का नियम होता है। व्रत के दौरान साधक को संयमित रहना चाहिए और मन, वाणी, और कर्म मे शुद्धता का पालन करना चाहिए।
- तांत्रिक साधनाएं : त्रिपुरा सुंदरी (Tripura Sundari) की उपासना मे तांत्रिक साधनाओं का भी बहुत महत्व होता है। यह साधनाएं गुरु से प्राप्त दीक्षा के बाद ही की जानी चाहिए। तांत्रिक साधनाओं मे ध्यान, प्राणायाम, और कुंडलिनी जागरण जैसी प्रक्रियाओं का पालन किया जाता है। साधक को ध्यान रखना चाहिए कि यह साधनाएं अत्यंत गंभीर होती है और इन्हें सही मार्गदर्शन मे ही किया जाना चाहिए।
- नियमितता और श्रद्धा : त्रिपुरा सुंदरी (Tripura Sundari) की पूजा मे नियमितता और श्रद्धा अत्यंत आवश्यक होती है। साधक को हर दिन पूजा के समय एक निश्चित स्थान पर बैठकर साधना करनी चाहिए। साधक का मन और आत्मा शुद्ध होनी चाहिए और उसे पूरी श्रद्धा और समर्पण के साथ माता की उपासना करनी चाहिए।
- हवन और तर्पण : त्रिपुरा सुंदरी (Tripura Sundari) की पूजा मे हवन और तर्पण का भी महत्व है। साधक हवन के माध्यम से देवी को अग्नि मे आहुति देकर अपनी श्रद्धा अर्पित करता है। हवन के लिए विशेष मंत्रों का उच्चारण और घी, तिल, और अन्य सामग्री का उपयोग किया जाता है। तर्पण के माध्यम से पितरों की आत्मा की शांति के लिए आहुति दी जाती है।
- दर्शन और आरती : पूजन के अंत मे देवी त्रिपुरा सुंदरी की आरती की जाती है। आरती के समय घंटा, शंख, और अन्य वाद्य यंत्रों का उपयोग किया जाता है। आरती के बाद साधक को माता के दर्शन करने चाहिए और उनके समक्ष अपनी मनोकामनाओं की प्रार्थना करनी चाहिए।
- प्रसाद वितरण : पूजा के अंत मे देवी को अर्पित नैवेद्य और प्रसाद को भक्तों मे वितरित किया जाता है। प्रसाद ग्रहण करने से साधक को देवी की कृपा प्राप्त होती है।
- ध्यान और समर्पण : पूजा के अंत मे साधक को त्रिपुरा सुंदरी का ध्यान करना चाहिए। ध्यान करते समय साधक को अपने सभी विचारों को त्यागकर मन को देवी में समर्पित करना चाहिए। ध्यान के दौरान “ओम” या देवी के नाम का जाप भी किया जा सकता है। ध्यान से मन को शांति और आत्मबल प्राप्त होता है।
त्रिपुरा सुंदरी पूजा के फायदे : (Benefits of Tripura Sundari Pooja)
त्रिपुरा सुंदरी माँ आद्य शक्ति और दस महाविद्याओं मे तीसरी महाविद्या मानी जाती है। उनकी पूजा से कई अद्भुत लाभ प्राप्त होते है। यहां मंत्र जाप सहित पूजा करने के कुछ प्रमुख फायदे दिए जा रहे है।
- सौंदर्य और आकर्षण मे वृद्धि : त्रिपुरा सुंदरी (Tripura Sundari) देवी को सौंदर्य, प्रेम और आकर्षण की देवी माना जाता है। उनकी पूजा से व्यक्ति के चेहरे पर आभा बढ़ती है और लोग उसकी ओर आकर्षित होते है।
- आध्यात्मिक उन्नति : माँ त्रिपुरा सुंदरी की पूजा से आध्यात्मिक शक्ति का विकास होता है। इससे साधक को ध्यान और योग साधना मे सफलता प्राप्त होती है।
- सुख और शांति : त्रिपुरा सुंदरी पूजा से घर और जीवन मे शांति, सुख और समृद्धि आती है। यह पूजा मानसिक तनाव को दूर करती है और जीवन मे सकारात्मकता लाती है।
- विवाह और दांपत्य जीवन मे सुधार : जिन लोगों के विवाह मे अड़चनें आ रही है या दांपत्य जीवन में समस्याएं है, उनके लिए त्रिपुरा सुंदरी (Tripura Sundari) पूजा बहुत ही लाभकारी होती है। इससे दांपत्य जीवन मे प्रेम और सामंजस्य बढ़ता है।
- सौभाग्य और धन की प्राप्ति : त्रिपुरा सुंदरी (Tripura Sundari) की पूजा से सौभाग्य और धन का आगमन होता है। यह पूजा व्यवसायिक और आर्थिक उन्नति के लिए अत्यंत प्रभावी मानी जाती है।
- रोगों से मुक्ति : त्रिपुरा सुंदरी (Tripura Sundari) की कृपा से रोगों से मुक्ति मिलती है। विशेष रूप से मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य मे सुधार होता है।
- शत्रुओं का नाश : त्रिपुरा सुंदरी की पूजा से शत्रुओं का नाश होता है और व्यक्ति को हर प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा से मुक्ति मिलती है।
- मनोकामना पूर्ति : यह पूजा मनोकामनाओं की शीघ्र पूर्ति के लिए जानी जाती है। त्रिपुरा सुंदरी (Tripura Sundari) साधना से व्यक्ति की सभी इच्छाएं पूरी होती है। त्रिपुरा सुंदरी (Tripura Sundari) पूजा और मंत्र जाप से व्यक्ति को देवी की विशेष कृपा प्राप्त होती है, जिससे जीवन में हर क्षेत्र मे उन्नति होती है।
त्रिपुरा राज्य और त्रिपुर सुंदरी मंदिर का संबंध : (Relation of Tripura State and Tripura Sundari Temple)
त्रिपुरा राज्य का नाम त्रिपुर सुंदरी से ही जुड़ा हुआ है। कहा जाता है कि इस राज्य का नाम देवी त्रिपुर सुंदरी के नाम पर ही रखा गया था। त्रिपुरा के लोग देवी के प्रति विशेष आस्था रखते है और राज्य में विभिन्न धार्मिक आयोजन होते हैं, जिनमे त्रिपुर सुंदरी की पूजा का विशेष स्थान है। यहाँ का सामाजिक और सांस्कृतिक जीवन भी देवी की आराधना से प्रभावित है।
समापन:
त्रिपुरा सुंदरी (Tripura Sundari) पूजा एक अत्यंत महत्वपूर्ण और प्रभावशाली पूजा है, जो साधक को न केवल भौतिक समृद्धि प्रदान करती है, बल्कि उसे आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग भी दिखाती है। यह पूजा तांत्रिक परंपरा का महत्वपूर्ण अंग है और इससे साधक को मानसिक शांति, समृद्धि, और आत्मिक शांति की प्राप्ति होती है। देवी त्रिपुरा सुंदरी (Tripura Sundari) की कृपा से साधक को अपने जीवन मे सफलता और संतोष की प्राप्ति होती है, और उसे सभी प्रकार के कष्टो और बाधाओं से मुक्ति मिलती है।
FAQs :
Q : माँ त्रिपुरा सुंदरी कौन है ?
A : माँ त्रिपुरा सुंदरी तंत्र विद्या मे महाविद्याओं मे से एक प्रमुख देवी है। इन्हें आद्याशक्ति और सौंदर्य की देवी के रूप मे पूजा जाता है। त्रिपुरा सुंदरी का अर्थ होता है “तीनों लोको की सुंदरता”।
Q : माँ त्रिपुरा सुंदरी की पूजा क्यों की जाती है ?
A : माँ त्रिपुरा सुंदरी की पूजा साधक को सौंदर्य, वैभव, बुद्धि, और आध्यात्मिक उत्थान प्रदान करने के लिए की जाती है। उनकी कृपा से साधक को संसारिक सुख और मोक्ष दोनों की प्राप्ति होती है।
Q : त्रिपुरा सुंदरी का क्या प्रतीकात्मक महत्व है ?
A : त्रिपुरा सुंदरी ब्रह्मांड की उत्पत्ति, स्थिति और संहार की शक्ति का प्रतीक मानी जाती है। ये तीनो अवस्थाओं की देवी है सृजन (क्रीड़ा), पालन (स्थिति), और संहार (विनाश)।
Q : माँ त्रिपुरा सुंदरी के अन्य नाम क्या है ?
A : माँ त्रिपुरा सुंदरी को शोडशी, ललिता, राजराजेश्वरी, और श्रीविद्या के नाम से भी जाना जाता है। वे दसमहाविद्याओं मे तीसरी महाविद्या है।
Q : त्रिपुरा सुंदरी की पूजा विधि क्या है ?
A : माँ त्रिपुरा सुंदरी की पूजा मे श्रीचक्र या श्री यंत्र का विशेष महत्व है। पूजा मे विशेष मंत्रों का जाप, यंत्र की स्थापना, और दीप, धूप, पुष्प, नैवेद्य आदि का अर्पण किया जाता है।
Q : त्रिपुरा सुंदरी का बीज मंत्र क्या है ?
A : माँ त्रिपुरा सुंदरी का बीज मंत्र “ह्रीं” है। इस बीज मंत्र का जप ध्यान, साधना और आध्यात्मिक उन्नति के लिए किया जाता है।
Q : त्रिपुरा सुंदरी की पूजा के लाभ क्या है ?
A : त्रिपुरा सुंदरी की पूजा से साधक को मानसिक शांति, ऐश्वर्य, ज्ञान, आत्म-साक्षात्कार, और आत्मिक सुख की प्राप्ति होती है। यह पूजा साधक को समस्त बाधाओं से मुक्त कर, उसकी इच्छाओं की पूर्ति करती है।
Q : त्रिपुरा सुंदरी की पूजा का विशेष समय क्या है ?
A : माँ त्रिपुरा सुंदरी की पूजा शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को विशेष रूप से की जाती है। विशेष अवसरों पर जैसे नवरात्रि या त्रिपुरा पूर्णिमा पर भी उनकी पूजा की जाती है।
Q : त्रिपुरा सुंदरी का श्रीचक्र क्या है ?
A : श्रीचक्र माँ त्रिपुरा सुंदरी का प्रतिनिधित्व करने वाला एक यंत्र है, जिसे अत्यधिक शुभ और शक्तिशाली माना जाता है। यह यंत्र साधक के जीवन मे धन, समृद्धि, और आध्यात्मिक शक्ति को आकर्षित करता है।
*** Related Post ⇓
- मेष राशि धन प्राप्ति के उपाय
- नौकरी पाने के योग
- मिथुन राशि जन्म कुंडली
- कुंडली में राजयोग
- वृषभ राशि जन्म कुंडली
- माणिक रत्न के लाभ
- कर्क राशि धन प्राप्ति
- सिंह राशि का भाग्योदय
- वृश्चिक राशि वाले गाड़ी कब खरीदे
- तुला राशि पर क्या संकट है?
- मांगलिक दोष और उससे बचने के उपाय
- धनु राशि के जीवन में क्या होने वाला है ?
- कन्या राशि वालों की किस्मत कब खुलेगी ?
- मकर राशि की परेशानी कब दूर होगी ?
- कुंभ राशि वालों को कौन से देवता की पूजा करनी चाहिए ?
- कालसर्प दोष और उससे बचने के उपाय