शेरावाली माता एक विस्तृत परिचय : (Sherawali Mata A Detailed Introduction)
शेरावाली माता (Maa Sherawali) हिंदू धर्म की एक प्रमुख देवी हैं, जिनकी पूजा विशेष रूप से राजस्थान, गुजरात और महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों मे की जाती है। यह माता भगवान शिव की शक्ति का प्रतीक मानी जाती है और उनका स्वरूप अत्यधिक करुणामयी तथा कष्टों को दूर करने वाली है। शेरावाली माता (Maa Sherawali) का मुख्य मंदिर राजस्थान के नागौर जिले मे स्थित है, लेकिन उनकी उपासना भारत के अन्य क्षेत्रों मे भी होती है। इस लेख मे हम शेरावाली माता के महत्व, उनके भव्य मंदिरो, पूजा विधियों और विभिन्न किंवदंतियों के बारे में विस्तार से जानेंगे।
शेरावाली माता की उत्पत्ति : (Origin of Sherawali Mata)
शेरावाली माता (Maa Sherawali) की उत्पत्ति का सम्बन्ध हिंदू पौराणिक कथाओं से है। एक कथा के अनुसार, जब दानवों ने देवी दुर्गा से युद्ध करने की योजना बनाई, तो देवी ने उन्हे परास्त करने के लिए शेर पर सवार होकर युद्ध मे भाग लिया। इस कारण उनका नाम ‘शेरावाली’ पड़ा। शेर के साथ उनकी जोड़ी शक्ति और साहस का प्रतीक मानी जाती है।
दूसरी कथा के अनुसार, शेरावाली माता (Maa Sherawali) की उत्पत्ति भगवान शिव के आशीर्वाद से हुई थी। माता ने शिव से शक्ति प्राप्त कर राक्षसो का संहार किया और इस प्रकार शेरावाली माता का जन्म हुआ।
शेरावाली माता का नाम और उपास्य रूप : (Name and Worship Form of Sherawali Mata)
“शेरावाली” शब्द का अर्थ है “जो गहनो से सुसज्जित हो” या “जिनके शरीर पर आभूषण हो।” शेरावाली माता (Maa Sherawali) का रूप एक देवी के रूप मे वर्णित है, जो गहनो से भरी हुई और अत्यधिक आभायुक्त हैं। उनके शरीर पर आभूषणों के साथ उनकी पूजा होती है, जो उनके रक्षात्मक और सौम्य रूप को दर्शाता है।
शेरावाली माता के मंदिर : (Temple of Sherawali Mata)
शेरावाली माता (Maa Sherawali) के प्रमुख मंदिर राजस्थान के नागौर जिले मे स्थित है। यहाँ उनका पवित्र स्थल बहुत ही लोकप्रिय है, जहाँ दूर दूर से भक्त दर्शन के लिए आते है। इसके अलावा, महाराष्ट्र और गुजरात मे भी उनके कई मंदिर है, जहाँ शेरावाली माता की पूजा की जाती है। इन मंदिरो मे विशेष रूप से मकर संक्रांति, दशहरा, और नवरात्रि के दौरान बड़े धार्मिक आयोजन होते है। भारत मे शेरावाली माता (Maa Sherawali) के अनेक प्रसिद्ध मंदिर है, जिनमे से कुछ प्रमुख मंदिर निम्नलिखित है।
- विमला माता का मंदिर (मध्यप्रदेश) :- यह मंदिर शेरावाली माता के प्रमुख मंदिरो मे गिना जाता है। यहाँ पर माता का स्वरूप शेर पर सवारी करते हुए दिखाया गया है।
- शेरावाली माता का मंदिर (हरियाणा) :- इस मंदिर मे विशेष रूप से शेरावाली माता (Maa Sherawali) की पूजा की जाती है, और यहाँ प्रतिवर्ष लाखों भक्त आते है।
- शेरावाली माता मंदिर (उत्तर प्रदेश) :- यहाँ पर भी शेरावाली माता की उपासना की जाती है, और भक्तों की मनोकामनाएँ पूरी होती है।
- शेरावाली माता मंदिर (राजस्थान) :- राजस्थान के कई हिस्सों मे शेरावाली माता के मंदिर स्थित है, जिनमें से प्रमुख बीकानेर और जोधपुर के मंदिर है।
- शेरावाली माता मंदिर (चंडीगढ़) :- यह मंदिर चंडीगढ़ मे स्थित है और बहुत ही प्रसिद्ध है। यहाँ पर माता की पूजा के साथ साथ शेर के प्रतीक की पूजा भी की जाती है।
शेरावाली माता की पूजा विधि : (Worship Method of Sherawali Mata)
शेरावाली माता (Maa Sherawali) की पूजा बहुत सरल और प्रभावी है। यहाँ उनकी पूजा विधि दी गई है।
- स्नान और शुद्धता : पूजा से पहले स्नान करके शुद्ध होना आवश्यक है। यह शुद्धि आत्मा को पवित्र करता है और पूजा के दौरान एकाग्रता बढ़ाता है।
- माँ का आह्वान : शेरावाली माता (Maa Sherawali) का आह्वान करते हुए उन्हे गुलाब, चमेली, और बेला के फूल चढ़ाए जाते है। उनके प्रतीक के रूप मे शेर के चित्र या मूर्ति का उपयोग किया जाता है।
- उपवास : नवरात्रि के समय विशेष रूप से शेरावाली माता का उपवास किया जाता है। इसके अलावा, प्रत्येक मंगलवार और रविवार को भी उनकी पूजा करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है।
- हवन और यज्ञ : शेरावाली माता (Maa Sherawali) की पूजा मे हवन और यज्ञ भी विशेष रूप से किए जाते है। इससे वातावरण शुद्ध होता है और भक्तों के जीवन मे समृद्धि का वास होता है।
- मंत्र जाप : शेरावाली माता (Maa Sherawali) के मंत्रो का जाप भी बहुत प्रभावी होता है। विशेष रूप से “ॐ दुं दुर्गायै नमः” का जाप किया जाता है।
- भोग और नैवेद्य : पूजा के बाद माता को मीठा पकवान, फल, और दूध चढ़ाने से आशीर्वाद प्राप्त होता है।
शेरावाली माता के इतिहास : (History of Sherawali Mata)
शेरावाली माता (Maa Sherawali) के बारे मे कई धार्मिक कथाएँ प्रचलित है। एक प्रमुख कथा के अनुसार, माता का जन्म एक समय हुआ था जब धरती पर असुरो का अत्याचार बढ़ गया था। असुरों के दमन के लिए देवी के रूप मे एक शक्तिशाली शक्ति का अवतरण हुआ। शेरावाली माता ने अपनी शक्तियों से असुरों का संहार किया और धरती पर शांति स्थापित की।
एक अन्य कथा के अनुसार, शेरावाली माता (Maa Sherawali) भगवान शिव की शक्ति का रूप मानी जाती है। कहा जाता है कि एक बार शिवजी ने अपने भक्तो के संकटो को दूर करने के लिए शेरावाली माता का अवतरण किया।
पूजा विधि और अनुष्ठान : (Worship Method and Rituals)
शेरावाली माता (Maa Sherawali) की पूजा विधि सरल और प्रभावशाली है। भक्त पहले उनके मंदिर मे जाकर उनका पूजन करते है। पूजा के समय, माता के चरणो मे फूल, धूप, दीपक और नैवेद्य अर्पित किया जाता है। विशेष रूप से, मिष्ठान्न और ताजे फल अर्पित किए जाते है। इसके बाद, मंत्रो का उच्चारण करके आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है।
शेरावाली माता और नवरात्रि : (Sherawali Mata and Navratri)
नवरात्रि के समय शेरावाली माता (Maa Sherawali) की पूजा का विशेष महत्व है। इस समय भक्त उनकी पूजा करके मनचाही इच्छाओ की प्राप्ति करते है। नवरात्रि के दिनों मे विशेष रूप से दुर्गा सप्तशती का पाठ और हवन किया जाता है, जिससे माता के विशेष आशीर्वाद प्राप्त होते है।
मुख्य मंत्र जो सेरावाली माता की पूजा मे उच्चारित होते है, वे है :
– “ॐ शेरावाली माता की जय”
– “ॐ देवी शेरावाली स्वाहा”
शेरावाली माता के महत्त्वपूर्ण पर्व : (Important Festivals of Sherawali Mata)
शेरावाली माता (Maa Sherawali) के प्रमुख पर्वों मे नवरात्रि और मकर संक्रांति विशेष रूप से मनाए जाते है। नवरात्रि के दौरान, विशेष रूप से माता के प्रति श्रद्धा और आस्था की अभिव्यक्ति होती है। इस दौरान भक्त विशेष अनुष्ठान करते है और माता से आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। मकर संक्रांति मे विशेष रूप से माता के मंदिरों मे भव्य मेले का आयोजन होता है, जहाँ भक्तों की भीड़ उमड़ती है।
शेरावाली माता के भव्य मंदिरो का महत्व : (Importance of Grand Temples of Sherawali Mata)
शेरावाली माता (Maa Sherawali) के मंदिर न केवल धार्मिक स्थल है, बल्कि सांस्कृतिक और ऐतिहासिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। इन मंदिरो मे पूजा करने के लिए विशेष शर्तें होती है, जो भक्तो को धार्मिक अनुशासन की ओर अग्रसर करती है। यहाँ पर भक्तो की आस्था और विश्वास का परिक्षण होता है, और मंदिरों मे होने वाली पूजा समाज को एकता और शांति का संदेश देती है।
शेरावाली माता और तंत्र-मंत्र : (Sherawali Mata and Tantra-Mantra)
कुछ मान्यताओं के अनुसार, शेरावाली माता (Maa Sherawali) का संबंध तंत्र मंत्र से भी जुड़ा हुआ है। वह शक्तियों का प्रतीक मानी जाती है जो साधको को मानसिक और भौतिक कठिनाइयों से मुक्ति दिलाने मे सहायक होती है। विशेष रूप से, जो लोग तंत्र मंत्र साधना करते है, उन्हे शेरावाली माता से विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है।
शेरावाली माता की उपासना और समाज मे प्रभाव : (Worship of Sherawali Mata and its Influence in Society)
शेरावाली माता (Maa Sherawali) की उपासना न केवल भक्तो के लिए एक आध्यात्मिक साधना है, बल्कि यह समाज मे भी एकता और शांति का प्रसार करती है। जब भी समाज मे संकट आते है, लोग शेरावाली माता से आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए मंदिरों मे जाते है। उनके आशीर्वाद से समाज मे सुख शांति और समृद्धि आती है।
शेरावाली माता के चमत्कारी उपाय : (Miraculous remedies of Sherawali Mata)
शेरावाली माता (Maa Sherawali) की उपासना से कई चमत्कारी परिणाम देखने को मिलते है। कहा जाता है कि जो लोग मानसिक तनाव या शारीरिक समस्याओं से परेशान होते है, वे माता के चरणों मे माथा टेकने से राहत प्राप्त करते है। इसके अलावा, शेरावाली माता के मंत्रो का जाप करने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएँ पूर्ण होती है।
समाप्ति :
शेरावाली माता (Maa Sherawali) की पूजा और उनकी उपासना हिंदू धर्म के अनुयायियों के लिए एक महत्वपूर्ण साधना है। उनके अद्वितीय रूप, शक्तिशाली मंत्र, और चमत्कारी प्रभाव से लोग आशीर्वाद प्राप्त करते है और जीवन मे सफलता, सुख, समृद्धि और शांति का अनुभव करते है। सेरावाली माता की महिमा अनंत है, और उनके आशीर्वाद से जीवन के सभी कष्ट समाप्त होते है।
यह विस्तृत परिचय शेरावाली माता (Maa Sherawali) की उपासना, उनकी पूजा विधि, महत्व और समाज पर प्रभाव को समझाने के लिए है। उनके मंदिरो की यात्रा और पूजा से भक्त अपने जीवन मे सच्चे सुख और समृद्धि की प्राप्ति करते है।
FAQs :
Q : शेरावाली माता कौन है ?
A : शेरावाली माता देवी दुर्गा का एक रूप है, जिन्हे महाकाली और महालक्ष्मी के संग पूजा जाता है। इन्हे शेर पर सवार होकर युद्ध करती हुई दिखाया जाता है और ये राक्षसों का नाश करती है। शेरावाली माता का स्वरूप शक्ति और वीरता का प्रतीक माना जाता है।
Q : शेरावाली माता का व्रत कब और क्यों किया जाता है ?
A : शेरावाली माता का व्रत नवरात्रि के दौरान विशेष रूप से किया जाता है, खासकर शारदीय नवरात्रि मे। इस व्रत का उद्देश्य शारीरिक और मानसिक बल प्राप्त करना, किसी भी प्रकार के संकट से मुक्ति पाना और देवी की कृपा प्राप्त करना होता है।
Q : शेरावाली माता की पूजा का तरीका क्या है ?
A : शेरावाली माता की पूजा के लिए सबसे पहले स्वच्छता का ध्यान रखे। फिर देवी की प्रतिमा को लाल रंग के कपड़े मे लपेटकर पूजा स्थान पर रखे। 16 श्रृंगार करे और मा के मंत्रो का जाप करे। “ॐ दुं दुर्गायै नम:” जैसे मंत्र का जाप विशेष लाभकारी माना जाता है।
Q : शेरावाली माता की पूजा मे कौन से प्रसाद चढ़ाए जाते है ?
A : शेरावाली माता को विशेष रूप से ताजे फल, नारियल, गुलाब के फूल, शहद, और दूध का प्रसाद चढ़ाया जाता है। साथ ही मिष्ठान्न जैसे पेड़े और लड्डू भी चढ़ाए जाते है।
Q : क्या शेरावाली माता का पूजन घर मे किया जा सकता है ?
A : हा, शेरावाली माता का पूजन घर मे भी किया जा सकता है। इसके लिए विशेष ध्यान रखें कि पूजा स्थान स्वच्छ और शांत हो। शेरावाली माता के मंत्रो का नियमित रूप से जाप करना घर की सुख शांति मे वृद्धि करता है।
Q : शेरावाली माता के मंदिर कहा कहा है ?
A : शेरावाली माता के प्रसिद्ध मंदिर भारत के विभिन्न हिस्सों मे है, जिनमे खासकर उत्तर भारत मे प्रमुखता से स्थित है। राजस्थान के शेरगढ़, मध्यप्रदेश के उज्जैन और हरियाणा के नाहरगढ मंदिर प्रसिद्ध है।
Q : शेरावाली माता का शेर से क्या संबंध है ?
A : शेरावाली माता का शेर से गहरा संबंध है क्योंकि उन्हे शेर पर सवार होते हुए दर्शाया जाता है। शेर माता की शक्ति और साहस का प्रतीक है, जो राक्षसों और बुराईयों का नाश करती है।
Q : शेरावाली माता के पूजा मे कौन से विशेष व्रत होते है ?
A : शेरावाली माता के लिए नवरात्रि व्रत खास होते है। इन नौ दिनो मे उपवासी रहकर विशेष पूजा, हवन, और मंत्र जाप किया जाता है। विशेष रूप से देवी दुर्गा की पूजा की जाती है और शेरावाली माता से आशीर्वाद की प्राप्ति होती है।
Q : शेरावाली माता की कृपा से कौन कौन से लाभ होते है ?
A : शेरावाली माता की कृपा से व्यक्ति को मानसिक शांति, शारीरिक बल, और जीवन मे सकारात्मक परिवर्तन प्राप्त होते है। माता की पूजा से परिवार मे सुख-समृद्धि का वास होता है और कष्टो से मुक्ति मिलती है।
Q : क्या शेरावाली माता की पूजा मे कोई विशेष अनुष्ठान होते है ?
A : शेरावाली माता की पूजा मे हवन, यज्ञ, और दुर्गा सप्तशती का पाठ विशेष रूप से किया जाता है। विशेषत, देवी के शेर पर सवार रूप का ध्यान करते हुए मंत्रो का जाप किया जाता है, जिससे मा की कृपा शीघ्र प्राप्त होती है।
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